निगाहों से कत्ल कर दे न हो तकलीफ दोनों को, तुझे खंजर उठाने की मुझे गर्दन झुकाने की।

फुल है गुलाब का, नशा है शरब का। आंखें तो दिख रही है, फिर क्या फ़ायदा इस नकाब का

महकता हुआ जिस्म तेरा गुलाब जैसा है, नींद के सफर में तू एक ख्वाब जैसा है, दो घूँट पी लेने दे आँखों के इस प्याले से, नशा तेरी आँखों का शराब जैसा है।

 नशा जरूरी है ज़िन्दगी के लिए, पर सिर्फ शराब ही नहीं है बेखुदी के लिए, किसी की मस्त निगाहों में डूब जाओ, बड़ा हसीं समंदर है ख़ुदकुशी के लिए।

 उस की आँखों में नज़र आता था सारा जहाँ मुझ को, अफ़सोस उन आँखों में कभी खुद को नहीं देखा मैंने। 

अगर कुछ सीखना ही है, तो आँखों को पढ़ना सीख लो, वरना लफ़्ज़ों के मतलब तो, हजारों निकाल लेते है।

मेरे होठों ने हर बात छुपा कर रखी थी, आँखों को ये हुनर कभी आया ही नहीं।

कभी बैठा के सामने पूछेंगे तेरी आँखों से, किसने सिखाया है इन्हें हर दिल में उतर जाना।